RAJASTHAN :- सरकार जिलों की संख्या 35-37 से ज्यादा नहीं रखना चाहती। ऐसे में किन्हीं 10 जिला मुख्यालयों को फिर से उपखंड मुख्यालयों में बदला जाएगा।
राजस्थान में वर्तमान में 50 जिले हैं। हाल ही में भजनलाल सरकार ने पिछली गहलोत सरकार में बनाए गए नए जिलों की समीक्षा के आदेश जारी कर दिए हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार उनमें से 10 जिले कम कर सकती है।
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों जिलों की संख्या कम करने का विचार आया? चार महीने पहले राज्य सरकार को भेजी एक समीक्षा रिपोर्ट में पुलिस विभाग ने दूदू और खैरथल-तिजारा से जिले का दर्जा हटाने की मांग की थी। पुलिस मुख्यालय की इस रिपोर्ट के अनुसार, दूदू और खैरथल-तिजारा का कार्यक्षेत्र बहुत छोटा है। यह दो से तीन पुलिस थाना क्षेत्रों तक सीमित है। यहां एक वृत्ताधिकारी (सीओ-डिप्टी एसपी) का पद ही पर्याप्त है। एएसपी और एसपी का कार्यक्षेत्र बनता ही नहीं है। पूरी खबर पढे….https://swagtamtv.com/
कौन से नए जिले सरकार की मापदंडों में नहीं बैठ रहे फिट?
सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 10-12 जिलों का सीमांकन व आबादी जिला बनाने के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रही। ये नए जिले हैं…
दूदू (जयपुर), खैरथल-तिजारा (अलवर), शाहपुरा (भीलवाड़ा), सांचौर (जालोर), डीग (भरतपुर), गंगापुर सिटी (सवाईमाधोपुर), कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर), सलूम्बर (उदयपुर), नीमकाथाना (सीकर), केकड़ी (अजमेर), अनूपगढ़ (बीकानेर) और फलोदी (जोधपुर) आदि जिलों से जिलों का दर्जा वापस लिया जा सकता है।
किस आधार पर बनाए गए थे जिले, आजतक नहीं हुआ खुलासा?
रिव्यू कराने के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस सरकार ने जो नए जिले बनाए थे, उनमें से कई क्षेत्रों में तो कभी जनता के स्तर पर जिला बनाने की मांग तक नहीं की गई थी। नए जिलों के गठन के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई थी, उस कमेटी ने कभी भी जिला बनाने का आधार-मापदंड तक सार्वजनिक नहीं किए थे। भाजपा सरकार जल्द ही जिला बनाने के संबंध में मापदंडों को सार्वजनिक करेगी।
क्या हटाने के साथ कुछ नए जिले भी बना सकती है?
राज्य सरकार जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, कुचामन, मालपुरा, सुजानगढ़ आदि घोषित जिलों (जिनका प्रशासनिक गठन अब तक नहीं हुआ) को बरकरार रखने या नया स्वरूप तय करने की समीक्षा कर रही है। कुछ नए जिले जैसे सरदारशहर, किशनगढ़, सांभर-फुलेरा, निम्बाहेड़ा आदि भी बनाए जा सकते हैं।